Suresh Wadkar – Chhod Aaye Hum Vo Galiyaan Lyrics

माचिस
छोड आये हम वो गलियां ...
जहां तेरे पैरों के कमल गिरा करते थे
हंसे तो दो गालों में भंवर पडा करते थे
तेरी कमर के बल पे नदी मुडा करती थी
हंसी तेरी सुन सुन के फसल पका करती थी
छोड आये हम वो गलियां ...

ओ जहां तेरी एडी से धुप उडा करती थी
सुना है उस चौखट पे अब शाम रहा करती हैं
लटों पे उलझी लिपटी एक रात हुआ करती थी
कभी कभी तकीए पे वो भी मिला करती हैं
छोड आये हम वो गलियां ...

दिल दर्द का टुकडा है पत्थर की डली सी है
एक अंधा कुंवां है या एक बंद गली सी है
एक छोटा सा लम्हा है जो ख़त्म नहीं होता
मैं लाख जलाता हूं ये भस्म नहीं होता
ये भस्म नहीं होता
छोड आये हम वो गलियां ...

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